बीमार के नाम का पाप कराना उन चौरासी लाख कुण्डियों पर से छोड़ देते है तो फिर वोह बीमार अच्छा हो जाता है;
2.
बीमार के नाम का पाप कराना उन चौरासी लाख कुण्डियों पर से छोड़ देते है तो फिर वोह बीमार अच्छा हो जाता है ; इससे देवतों के परचों को सच्चा जानते हैं।
3.
जिसकी वजह यह है कि इन बनियों ने जमीन के नामका पाप कराना शुरु किया है, जिससे जमीन के शरीर की चरबी गल गई है और खानों के अलोप होने का यही सबब है।
4.
जिसकी वजह यह है कि इन बनियों ने जमीन के नामका पाप कराना शुरु किया है, जिससे जमीन के शरीर की चरबी गल गई है और खानों के अलोप होने का यही सबब है।
5.
परन्तु खाना तो उसी हालत में खाया जावेगा कि जब हाथ उठाकर मुँह में ‘लुकमा ' देगा, मगर दिल के चलाने से खाना नहीं खा सकता है, सो यह बनिये तो पाप कराना समझते है कि जो गरीब आदमियों को दुखी करेंगे तो आपस में लड़कर खुद ही मर जावेंगे।
6.
परन्तु खाना तो उसी हालत में खाया जावेगा कि जब हाथ उठाकर मुँह में ‘ लुकमा ' देगा, मगर दिल के चलाने से खाना नहीं खा सकता है, सो यह बनिये तो पाप कराना समझते है कि जो गरीब आदमियों को दुखी करेंगे तो आपस में लड़कर खुद ही मर जावेंगे।
7.
सो भाई मेरे हो, अलोप हो जाना और महातम और मान कम हो जाना गंगा का यह ही है कि यह बनिये महाजन लोग गंगा के ना का पाप कराना शुरु करके इसको रोग करा देंगे तो उस पाप के होने से गंगा के पानी में यह बात जो अब है, नहीं रहेगी;
8.
और इन बनियों ने तो इतना पाप कराना शुरु किया है कि जहान के हाथों से देवतों के उपर जानवरों को मरवा देते है और हाड़ों को डाल देते है, सो हम तुम सबही जानते है कि अपने हाथों से हम और तुम देवतों के उपर हाड़ और खून डाल देते है।
9.
सो भाई मेरे हो, अलोप हो जाना और महातम और मान कम हो जाना गंगा का यह ही है कि यह बनिये महाजन लोग गंगा के ना का पाप कराना शुरु करके इसको रोग करा देंगे तो उस पाप के होने से गंगा के पानी में यह बात जो अब है, नहीं रहेगी ; और इसके पानी में कीड़े वगैरा पड़ने को लग जावेंगे तो फिर संसार के लोगों के दिल में गंगा का मान और महातम